सहकारी क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने उठाए बड़े कदम, 2024 तक डिजिटल होगा NABARD
सरकार का लक्ष्य सहकारी समितियों की पारदर्शिता तथा दक्षता में सुधार के लिए अगले साल मार्च तक करीब 65,000 सहकारी समितियों को कंप्यूटरीकृत करने का है. करीब 10,000 सहकारी समितियों को पहले ही डिजिटल किया जा चुका है.
(File Image)
(File Image)
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) जल्द ही 65,000 सहकारी समितियों का डिजिटलीकरण करने वाला है. नाबार्ड के चेयरमैन शाजी के. वी. ने बुधवार 8 नवंबर को कहा कि सरकार का लक्ष्य सहकारी समितियों की पारदर्शिता तथा दक्षता में सुधार के लिए अगले साल मार्च तक करीब 65,000 सहकारी समितियों को कंप्यूटरीकृत करने का है.
65,000 समितियों का डिजिटलीकरण
नाबार्ड को राष्ट्रीय स्तर की निगरानी तथा कार्यान्वयन समिति और सहकारिता मंत्रालय (Ministry of Cooperation) के मार्गदर्शन व निर्देशों के तहत सहकारी समितियों को डिजिटल करने के लिए परियोजना प्रबंधक के रूप में नामित किया गया है. सा-धन की ओर से आयोजित एक सम्मेलन में उन्होंने कहा, कि करीब 10,000 सहकारी समितियों को पहले ही डिजिटल किया जा चुका है. हम मार्च, 2024 तक 65,000 समितियों को डिजिटल करने का लक्ष्य बना रहे हैं.
ग्रामीण क्षेत्र में डेटा वेयरहाउस
सहकारी समितियों में दक्षता के स्तर पर पिछले कुछ वर्षों में आई खामियों पर उन्होंने कहा, कि हम पारदर्शिता में सुधार करके और इन संस्थाओं के कंप्यूटरीकरण के जरिये उन्हें महत्वपूर्ण मूल्य श्रृंखला का खिलाड़ी बनाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नाबार्ड सहकारी समितियों और ग्रामीण क्षेत्र के लिए एक डेटा वेयरहाउस भी बना रहा है. यह करीब छह महीने में तैयार हो जाना चाहिए. सूक्ष्म वित्त पहुंच के संबंध में क्षेत्रीय असमानता की ओर इशारा करते हुए शाजी ने कहा कि पूर्व और दक्षिण की ओर इसका झुकाव अधिक है.
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
उन्होंने कहा कि इन दोनों क्षेत्रों में सूक्ष्म वित्त पहुंच करीब दो-तिहाई है, जबकि उत्तर, मध्य तथा पश्चिम सहित शेष भारत में केवल एक-तिहाई है. शाजी ने कहा, यह सवाल उठता है कि क्या हम क्षेत्रीय असमानता से ठीक से निपट रहे हैं. यदि आप इस डाटा को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) योगदान या राष्ट्रीय आय योगदान के साथ जोड़ते हैं, तो हम यहां कुछ असमानता पाएंगे. लैंगिक समानता पर उन्होंने कहा कि नाबार्ड ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) को कर्ज देते समय इसे ध्यान में रखने के लिए कहा है.
04:59 PM IST